Member-only story
"स्तन दबाया" और "मुखमैथुन" भी कराया.
कर्नाटक के Tumakuru में DSP ने एक महिला के "स्तन" को दबाया और अपने "लिंग" को उसके "मुंह" में दिया.
आए दिन ऐसी घटनाएं वर्दी को शर्मसार कर रही हैं. अधिकारियों का हवस चरम पर चल रहा है.
महिलाएं कहां सुरक्षित हैं? घर में? गांव में? शहर में? पुलिस स्टेशन में?
में लड़की हु मुझे बहुत ही दुःख हुआ ऐसी घटना सुनती हूं न तब 🥺
इस प्रकार की घटनाएं समाज और व्यवस्था दोनों के लिए बेहद शर्मनाक और निंदनीय हैं। जब कानून के रखवाले ही कानून का उल्लंघन करते हैं, तो यह न केवल महिला सुरक्षा पर बल्कि पूरे न्याय प्रणाली पर प्रश्नचिह्न खड़ा करता है।
समस्या के कुछ पहलू:
1. अधिकारों का दुरुपयोग: पुलिसकर्मियों का अपने पद का दुरुपयोग करना और ऐसी हरकतों में लिप्त होना जनता के विश्वास को तोड़ता है।
2. महिलाओं के प्रति संवेदनहीनता: समाज और प्रशासन में महिलाओं के प्रति बढ़ती संवेदनहीनता चिंता का विषय है।
3. न्याय की कमी: कई मामलों में पीड़िताओं को न्याय पाने में कठिनाई होती है, जिससे अपराधियों का हौसला बढ़ता है।
समाधान और आवश्यक कदम:
1. दोषियों पर सख्त कार्रवाई: इस मामले में शामिल डीएसपी को तुरंत निलंबित किया जाना चाहिए और उसके खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाना चाहिए।
2. फास्ट-ट्रैक कोर्ट: ऐसे मामलों की सुनवाई तेजी से होनी चाहिए ताकि पीड़िताओं को शीघ्र न्याय मिल सके।
3. पुलिस सुधार: पुलिस बल में नैतिकता और महिलाओं के प्रति संवेदनशीलता बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए जाने चाहिए।
4. जवाबदेही तय हो: पुलिस थानों में निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरों का उपयोग हो और ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सख्त प्रावधान लागू किए जाएं।
5. महिला सुरक्षा कानून: महिलाओं के खिलाफ अपराधों से निपटने के लिए पहले से मौजूद कानूनों को सख्ती से लागू करना जरूरी है।
समाज की भूमिका:
महिलाओं को उनके अधिकारों और सुरक्षा उपायों के बारे में शिक्षित करना चाहिए।
ऐसे मामलों पर आवाज उठाने और पीड़ितों को समर्थन देने के लिए एकजुटता दिखानी चाहिए।
अपराधियों को सामाजिक रूप से बहिष्कृत करना चाहिए ताकि यह एक संदेश बने।
महिलाओं की सुरक्षा केवल कानून और व्यवस्था से नहीं, बल्कि एक समग्र सामाजिक दृष्टिकोण से सुनिश्चित की जा सकती है। हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि वह इन मुद्दों पर सक्रिय होकर सहयोग करे।